चिलखारी में हुए हत्याकांड के काफी चर्चित जीतन मरांडी का हुआ निधन, फांसी के सजा से जाने जाते थे।

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पूर्व नक्सली और चिलखारी हत्याकांड में गिरिडीह कोर्ट से मौत की सजा पाने वाले मशहूर जीतन मरांडी का रविवार दोपहर रांची में निधन हो गया । 
रविवार रात करीब नौ बजे उनका पार्थिव शरीर रांची से पीरटांड के करांडो स्थित उनके आवास पर लाया गया. जीतन मरांडी कुछ समय से रांची में एक दोस्त के साथ रह रहे थे। पिछले शनिवार को वह बीमार हालत में पीरटांड से रांची गए थे। वहीं उसकी मौत हो गई। उनके पीछे पत्नी अपर्णा मरांडी, एक बेटा और एक बेटी है। जीतन की मौत की पुष्टि करते हुए पत्नी अपर्णा मरांडी ने कहा कि सोमवार को शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
ज्ञात हो कि जीतन मरांडी माओवादियों के सांस्कृतिक मंच झारखंड एवेन के सचिव थे. 26 जून 2007 को देवरी प्रखंड के चिलखारी में नक्सलियों ने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बेटे अनूप मरांडी समेत 19 लोगों की हत्या कर दी थी. इस मामले में गिरिडीह कोर्ट ने 23 जून 2011 को जीतन मरांडी, छत्रपति मंडल, मनोज रजवार और अनिल राम को मौत की सजा सुनाई थी.
जीतन मरांडी की फांसी के खिलाफ उनकी पत्नी अपर्णा मरांडी ने देशभर में अभियान चलाया था. जिसका विभिन्न संगठनों ने समर्थन किया। गिरिडीह कोर्ट के इस फैसले को जीतन ने झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 15 दिसंबर 2011 को झारखंड उच्च न्यायालय ने जीतन मरांडी समेत चारों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। जीतन मरांडी ने कहा कि उन्हें एक अन्य कट्टर माओवादी जीतन मरांडी का नाम होने के कारण फंसाया गया है। कट्टर माओवादी जीतन मरांडी को भी बाद में चिलखरी नरसंहार में गिरफ्तार किया गया था। वे तो अब भी जेल में हैं।

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