भेलवाघाटी हत्याकांड की 16वीं बरसी पर भी किसी ने इन शहीदों को श्रद्धांजलि नहीं दी। ऐसा नहीं है कि लोग इन 17 शहीदों को श्रद्धांजलि नहीं देना चाहते हैं।
नक्सलियों के खौफ के चलते यहां न तो जयंती पर कोई आयोजन होता है और न ही कोई शहीदों को श्रद्धांजलि देता है। 16वीं बरसी पर भी शनिवार को भेलवाघाटी में सन्नाटा पसरा रहा। गौरतलब है कि 11 सितंबर 2005 को भालवाघाटी में नक्सलियों ने 17 ग्रामीणों की हत्या कर दी थी।
उस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों के आंसू आज भी नहीं थम रहे हैं। घटना की 16वीं बरसी शनिवार को थी, लेकिन न तो नेता और न ही रिश्तेदार मौके पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे। भले ही गांव के 17 लोगों ने थाना, सड़क, पुल पुलिया और स्कूल सहित विकास की गति का लाभ इस क्षेत्र के लोगों को बलिदान देकर दिया, लेकिन उन शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में एक फूल भी नहीं चढ़ाया जा सका।
परिजन घटना के बाद से मुआवजा, नौकरी, आदर्श गांव आदि की मांग कर रहे हैं। इनमें से कई लोग यहां भी आ चुके हैं। जो बचा है उसकी आज भी मांग की जा रही है। इस संबंध में जुम्मन मियां, करीम मियां, सहना खातून, समसूदीन अंसारी, सीतो हाजरा, सलामत अंसारी आदि ने बताया कि घटना के बाद से आज तक कोई भी नेता शहीदों को श्रद्धांजलि देने नहीं आया है।