गिरिडीह जिला के भेलवाघाटी (देवरी) में वन विभाग द्वारा दो दलित परिवारों के मकान गिराए जाने के विरोध में भाकपा-माले और अखिल भारतीय किसान महासभा ने शुक्रवार को अधिकार सभा का आयोजन कर उनके घर के पुनर्निर्माण की घोषणा की। वहीं इस मामले में वन विभाग, प्रखंड व अंचल अधिकारी व स्थानीय पुलिस पर निशाना साधते हुए इसे गरीबों के खिलाफ की गई सबसे क्रूर कार्रवाई बताया।
बैठक से पहले घायलों को मुआवजा देने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर विरोध मार्च भी निकाला गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्थानीय नेता माले मुस्तकिम अंसारी ने की और संचालन अजीत कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पार्टी के जिला सचिव पूरन महतो ने कहा कि मोदी शासन में गरीबों और किसानों को उनकी जमीन से बेदखल करने की साजिश रची जा रही है।
कहा कि सरकारी जल, जंगल और जमीन पर आम लोगों का अधिकार होना चाहिए। राज्य समिति के सदस्य राजेश कुमार यादव ने कहा कि सरकार गरीबों, भूमिहीनों और जरूरतमंदों को जमीन और मकान दे और पहले से बसे हुए गरीबों को नष्ट न करे। जिस तरह से दोनों दलित परिवारों के घरों में तोड़फोड़ की गई, वह पदाधिकारियों की संवेदनहीनता को दर्शाता है। प्रशासन को मुआवजा देना चाहिए और दोनों परिवारों के घरों का पुनर्निर्माण करना चाहिए, नहीं तो हजारों लोग मिलकर अपना घर बनाने का काम करेंगे।
कार्यक्रम का संचालन जमुआ विधानसभा क्षेत्र के नेता अशोक पासवान, माले के वरिष्ठ नेता उस्मान अंसारी, प्रखंड सचिव राम किशुन यादव, मुस्तकिम अंसारी, विजय पांडे, मीना दास, रीतलाल वर्मा, बिहार से संजय अनुरागी और कल्लू मरांडी, सुनील राय ने किया। अजय चौधरी, संजय राय, कुद्स अंसारी आदि ने संबोधित किया। जबकि सैकड़ों की संख्या में स्थानीय महिला व पुरुष मौजूद थे। बैठक के अंत में एक प्रस्ताव पारित कर प्रशासन से दोनों परिवारों को जल्द से जल्द पर्याप्त मुआवजा देकर मकान बनवाने की मांग की गयी।