गिरिडीह जिला के सरकारी अस्पताल में संस्थागत प्रसव पर सरकार लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करती है। इसके साथ ही सरकारी अस्पताल में प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती को कई तरह की नि:शुल्क सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
लेकिन चैताडीह स्थित प्रसूति एवं बाल स्वास्थ्य इकाई में गेट पास तक प्रसव के लिए अलग-अलग दरें अवैध रूप से निर्धारित की गईं। उक्त इकाई में रुपये की वसूली का मामला है। इसकी शिकायत संबंधित अधिकारी से भी की जाती है। कई बार शिकायत मिलने के बाद भी कार्रवाई की जाती है, इसके बाद भी अवैध वसूली, गर्भवती महिला को भूलकर निजी नर्सिंग होम ले जाने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इधर सदर प्रखंड के टिकोडीह गांव निवासी राजू साव ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर प्रसूति एवं बाल स्वास्थ्य इकाई में हो रही अवैध वसूली के खिलाफ कार्रवाई कर दोषियों के खिलाफ जांच कराने की मांग की है। भेजे गए पत्र में लिखा है कि मंगलवार को वह अपनी पत्नी को जन्म देने के लिए मैटरनिटी एंड चाइल्ड हेल्थ यूनिट चैताडीह गया था। सरकारी अस्पताल होने के कारण गर्भवती को वहां सभी सुविधाएं नि:शुल्क दी जानी चाहिए थी, लेकिन उसमें से आठ सौ रुपए ओटी में, पचास रुपए बीसीजी वैक्सीन के लिए, पचास रुपए मदर-चाइल्ड कार्ड के लिए, प्रसवोत्तर छुट्टी के लिए सौ रुपए। गेट पास के लिए 20 रुपए चार्ज किए गए। कहा कि पैसा नहीं देने से कोई काम नहीं होता है।
वहीं दूसरी ओर जुलाई माह में भी पीरटांड प्रखंड क्षेत्र के सांसद व कई पंचायत प्रतिनिधियों ने चाइल्ड केयर रूम में आउटसोर्सिंग के माध्यम से तैनात दाई पर गर्भवती होने के लिए सिविल सर्जन, उपायुक्त समेत संबंधित अधिकारियों को आवेदन दिया है। पीरटांड क्षेत्र से आने वाली महिलाओं पर दबाव बनाने का आरोप लगाया गया। इधर एक अन्य मामले में प्रसूति एवं शिशु इकाई चैताडीह से निजी नर्सिंग होम में गर्भवती महिला को गुमराह करने की शिकायत पर आरोपित आउटसोर्सिंग कार्यकर्ता पार्षद यशोदा देवी को सिविल सर्जन ने कार्य से हटा दिया है।